भास्कर तिवारी द्वारा यह लेख हमें कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव के जीवन से जुड़ी कहानी के बारे में बताता है| आज वे हमारे बीच नहीं हैं मगर उनका संघर्ष हमे सदा प्रेरित करता रहेगा|
देश में गजोधर भैया के नाम से मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का बुधवार को सुबह 10 बजे एम्स में निधन हो गया। राजू श्रीवास्तव ने 2014 में भारतीय जनता पार्ट ज्वाइन की थी और इसी सिलसिले में वो बीजेपी के बड़े नेताओ से मिलने दिल्ली आए थे।राजू श्रीवास्तव दिल्ली के एक होटल में रुके हुए थे । 10 अगस्त की सुबह जब हो जिम में वर्कआउट कर रहे थे तभी उनको सीने में दर्द हुआ और वो बेहोश होकर गिर गए।
इसके बाद उनको फौरन देश के जानेमाने हॉस्पिटल एम्स में भर्ती कराया गया।लोग उन के जल्द स्वस्थ होने की दुआ क र रहे थे लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था उन्होंने हम सब के प्यारे गजोधर भैया को हम से छीन लिया। राजू श्रीवास्तव का जन्म कानपुर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में 23 दिसंबर 1963 को कानपुर के नयापुरवा में हुआ था। इ नके पिता भी मशहूर कवि थे उनको लोग प्यार से बलाई काका कह कर पुकारते थे।
राजू श्रीवास्तव का वास्तविक नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था और उनके पिता का नाम रमेश चंद्र श्रीवास्तव था। उन्होंने अपने पिता से लोगों को मनोरंजन करने का गुर सीखा था।लोग उनको लोकल किक्रेट मैच में कमेंट्री के लि ए बुलाते थे। शुरू में वो रेडियो पर इंदिरा जी की आवाज सुनकर उनकी मिमिक्री किया करते थे। वो बचपन से ही कॉमेडियन बनना चाहते थे। लेकिन असल में उनकी प्रेरणा अमिताभ बच्चन थे। वो अमिताभ बच्चन की मिमिक्री भी करते थे। फिर एक दिन राजू ने अपने सपनो को उड़ान देने के लिए सपनो की नगरी मुंबई की ओर रुख किया और घर छोड़कर मुंबई आ गए।
80- 90 के दशक में जब सोशल मीडिया नहीं था, ढेर सारे टी.वी. चैनल्स नहीं थे, कलाकार के आम जनता तक पहुँचने के मंच बहुत सीमित थे, तब बड़ा पर्दा और मायानगरी ही उनका अंतिम विकल्प औऱ प्लेटफॉर्म था । देश भर से आँखों में सपने लिए सैंकड़ों लड़के- लड़कियाँ अपनी कला की आज़माइश के लिये मुंबई की ट्रेन पकड़ते थे । तब कानपुर का एक लड़का भी जो गाँव में आवाज़ों की नकल करता था कॉमेडी एक्टर बनने मुम्बई चला आया... और फिर शुरू हुआ संघर्ष का दौर। शक्ल सूरत महा-साधारण थी। पहचान भी नहीं थी। यूँ भी रातों- रात सफलता सबको नहीं मिलती । चप्पलें घिसीं, धक्के खाए, फ़िल्मों में छोटा- मोटा रोल भी मिला। बुरे दिनों में पेट पालने के लिए ऑटो भी चलाया और 50- 50 रुपये में स्टेज पर काम भी किया। शुरुआत में राजू ने बहुत संघर्ष किया और उनको पैसों के लिए ऑटो तक च लानी पड़ी। लेकिन राजू ने हार नहीं मानी और इसका फल भी उनको जल्द मिला।
एक दिन राजू श्रीवास्तव ऑटो चला रहे तभी उनको खबर मिली की उनका चयन दूरदर्शन के प्रोग्राम टी टाइम म नोरंजन में हो गया है। इसके बाद उनकी किस्मत चमक गई। राजू ने फिल्मी करियर कि शुरुआत सन 1988 में 'ते जाब ' फिल्म से की थी। करियर के शुरुआती दौर में राजू ने कई फिल्मों में छोटे किरदार किये। इसके कुछ समय बाद राजू ने अपने भाई की शादी में एक लड़की को अपना दिल दे बैठे और 1जुलाई 1993 को लखनऊ में शिखा श्रीवास्तव से शादी कर ली। दोनों से दो बच्चे अंतरा और आयुष्मान है। राजू ने कई शानदार फिल्मों में काम किया है- मैंने प्यार किया, बाज़ीगर, आमदनी अठन्नी खर्चा रुपइया, मैं प्रेम की दीवानी हूँ, बिग ब्रदर, बॉम्बे टू गोवा, टॉय लेट: एक प्रेम कथा, फिरंगी इत्यदि फिल्मों में काम किया।
राजू ने बालीवुड की कई बड़ी हस्तियों के साथ भी काम किया है -राजू श्रीवास्तव ने सलमान खान, शाहरुख खान, अनिल कपूर, गोविंदा, मिथुन चक्रवर्ती, सनी देओल जैसे बड़े हीरो की फिल्मों में काम किया है। साल 2009 में राजू श्रीवास्तव रिएलिटी शो बिग बॉस में भी नजर आए थे। इसके बाद उनको तारक महेता का उल्टा चश्मा में भी अदाकारी करते देखा गया। इसके अलावा राजू ने देश में मशहूर टीवी प्रोग्राम नच बलिये सीजन- 6 में पत्नी शिखा श्रीवास्तव के साथ भाग लिया था। राजू टीवी जगत में एक्टिव रहते थे। 2014 के बाद राजू एक्टिंग के अलावा राजनीति में भी सक्रिय हो गए। समाजवादी पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में राजू को कानपुर लोकसभा से अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन राजू ने टिकट वापस कर दिया और मोदी से प्रभावित होकर 2014 में भारती य जनता पार्टी ज्वाइन कर ली। इसके कुछ समय बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बनने के लिए नामांकित किया।
तब से वह भारतीय समाज में स्वच्छता को बढ़ावा देते आए हैं। राजू श्रीवास्तव मौजूदा दौर में राजनीति में सक्रि य थे और यूपी फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में इस पद पर आसीन थे। हमेशा सबकों हँसाने वाला वो हास्य कलाकार आज हम सब को रुलाकर इस दुनिया से चला गया। मैं सोचता हूँ कि मृत्यु भी कितनी विचित्र है। इंसान के साथ उसका दशकों का संघर्ष, मेहनत, अर्जित ज्ञान और कलाएं भी अपने साथ ले जाती हैं। दूसरों की शा रीरिक बनावट का मज़ाक बना कर, फूहड़ और अश्लील कॉमेडी करके 'कॉमेडी किंग' बनना आसान है पर सरल, सहज और साफ सुथरी कॉमेडी करके गजोधर भैया बने रहना बहुत मुश्किल। अंतिम प्रणाम गजोधर भैया। आने वाली नस्लों को हम आपकी दास्ताँ सुनाते रहेंगे। हमारे बचपन को अद्भुत बनाने के लिए आपका शुक्रिया।
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